सड़कों पर गाते फकीर को देखकर Mohammed Rafi ने सीखा था गाना, 13 साल की उम्र में पहली बार दी थी पब्लिक परफॉर्मेंस

<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;"><strong>Mohammed Rafi Facts:</strong> हिंदी सिनेमा को एवरग्रीन गाने देने वाले मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) 42 साल पहले दुनिया से रुख्सत हो गए थे. रफी साहब के गुजरने के सालों बाद भी लोग उनके मेलोडियस गाने सुनते और सराहते हैं. लेकिन मोहम्मद रफी आज लीजेंड्री सिंगर नहीं होते, अगर नाई की दुकान में काम करने वाले 9 साल के नन्हें रफी पर पंडित जीवनलाल की नजर नहीं पड़ती. आज डेथ एनिवर्सरी पर हम आपको बताने जा रहे हैं रफी साहब के सिंगर बनने की दिलचस्प कहानी...</span></p> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">किस्सा शुरू करते हैं 24 दिसम्बर 1924 से.. जब अमृतसर के कोटला सुल्तान सिंह गांव में मोहम्मद रफी का जन्म हुआ. ये 6 भाई बहनों में दूसरे बड़े बेटे थे. घरवालों ने इन्हें प्यार से नाम दिया..फिको. गली में घूमते फकीर को गाना गाते देख रफी इतने प्रभावित हुए कि खुद भी उसकी नकल करते हुए गाने गाने लगे. 9 साल के हुए तो पूरा परिवार अमृतसर से लाहौर आकर बस गया. रफी को कभी पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं थी, तो उनके पिता ने उन्हें बड़े भाई के साथ खानदानी नाई की दुकान में लगा दिया.</span></p> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;"><br /><img src="https://ift.tt/ynFRPkq" /></span></p> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">9 साल के रफी नूर मोहल्ला, के भाटी गेट की दुकान पर नाई बन गए. 1933. संगीतकार पंडित जीवनलाल नाई की दुकान पर पहुंचे. जब उन्होंने गुनगुनाते हुए रफी को बाल काटते हुए सुना तो बेहद खुश हुए. रफी को रेडियो चैनल के ऑडीशन में बुलाया गया, जिसे उन्होंने आसानी से पार कर लिया. जीवनलाल ने ही रफी को गायिकी की ट्रेनिंग दी और वो रेडियो में गानों को आवाज देने लगे. 1937 की बात है जब स्टेज में बिजली ना होने पर पॉपुलर सिंगर कुंदनलाल सहगल ने स्टेज पर गाने से इनकार कर दिया. </span></p> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">आयोजकों ने यहां 13 साल के रफी को मौका दिया. दर्शकों के बैठे केएल सहगल ने हुनर भांपते हुए कहा कि देखना ये लड़का एक दिन बड़ा सिंगर बनेगा. के एल सहगल (KL Sehgal)की बात सालों बाद सच साबित हुई. एक्टर और प्रोड्यूसर नजीर मोहम्मद ने रफी को 100 रुपए और टिकट भेजकर बॉम्बे बुलाया. रफी लाहौर से बॉम्बे पहुंच गए और यहां उन्होंने पहली बार हिंदी फिल्म पहले आप के लिए हिदुंस्तान के हम हैं गाना रिकॉर्ड किया. साल बीते और रफी के गाने देशभर में मशहूर होने लगे.</span></p> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;"><br /><img src="https://ift.tt/CMYpklI" width="730" height="540" /></span></p> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">बैजू बावरा फिल्म के गानों से रफी स्टार बन गए और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 31 जुलाई 1980 को हार्ट अटैक से 55 साल के मोहम्मद रफी का निधन हो गया. चाहनेवाले ऐसे कि इनके अंतिम संस्कार में 10 हजार लोगों की भीड़ पहुंची. आज भले ही रफी साहब हमारे बीच ना हों लेकिन इनके सदाबहार गाने आज भी लोगों के दिलों को छूते हैं.</span></p>

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