<div id="myTabContent" class="tab-content"> <div id="plagirism" class="tab-pane fade show active" role="tabpanel"> <div id="result-text" class=" text-justify"><span style="font-weight: 400;"><strong>Manoj Kumar Birthday:</strong> आज मनोज कुमार (Manoj Kumar) 85 साल के हो चुके हैं. 24 जुलाई 1937 को जन्में मनोज का जन्म गुलाम भारत के एबटाबाद में हुआ था. फिर जब मनोज 10 साल के हुए तो भारत-पाक का बंटवारा हो गया. इस बीच उनकी फैमिली ने भारत को चुना और दिल्ली के एक् रिफ्यूजी कैंप में आ गए. बाद में उनकी फैमिली दिल्ली के राजेंद्रनगर में शिफ्ट हो गई थी. कुछ समय बीता और स्कूली पढ़ाई के बाद मनोज हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन करने लगे. </span></div> <div class=" text-justify"> </div> <div class=" text-justify"><span style="font-weight: 400;">इसी दौरान उन्हें शशि गोस्वामी से प्यार हुआ और दोनों को साथ में फिल्में देखने का चस्का लग गया. बस यहीं से उन्होंने सोच लिया कि अब एक्टर ही बनना है और दिलीप कुमार (Dilip Kumar) की फिल्म शबनम देखकर अपना नाम हरिकिशन गिरि से बदलकर मनोज कुमार रख लिया. फिर मनोज का ग्रेजुएशन पूरा हुआ और 20 साल की उम्र में वो सपनों के शहर मुंबई पहुंच गए. यहां उन्हें उनकी पहली फिल्म फैशन मिली.</span></div> <div class=" text-justify"> </div> <div class=" text-justify"><br /><img src="https://ift.tt/PTMHlfK" width="730" height="540" /></div> <div class=" text-justify"><span style="font-weight: 400;"> इस फिल्म में उनका ज्यादा बड़ा रोल नहीं था पर काम अच्छा था तो 3 साल बाद लीड एक्टर के तौर पर उन्हें मिली फिल्म कांच की गुड़िया. ये फिल्म हिट साबित हुई और यहीं से मनोज के फिल्मी सफर की शुरुआत भी हो गई. उन्होंने अपने करियर में 54 फिल्मों में काम किया है. मनोज देशभक्ति पर ज्यादा फिल्में बनाते थे और उस वक्त की सिचुएशन पर बनाई गई फिल्में सुपरहिट भी होती थीं तो लोगों ने उनका नाम भारत कुमार रख दिया.</span></div> <div class=" text-justify"><span style="font-weight: 400;"><br /><img src="https://ift.tt/rIPaYnF" /></span></div> <div class=" text-justify"> </div> <div class=" text-justify"><span style="font-weight: 400;">उन्होंने जब फिल्म शहीद बनाई तो भगत सिंह (Bhagat Singh) की मां को मनोज में उनके बेटे की छवि दिखाई दी. इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर उन्होंने फिल्म उपकार बनाई जो सुपरहिट रही. ये फिल्म शास्त्री के "जय जवान, जय किसान नारे पर आधारित थी". इमरजेंसी का विरोध करने पर भी मनोज को काफी कुछ सहना पड़ा था. मनोज एक बेहतरीन राइटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर भी हैं. उनकी बनाई और लिखी लगभग हर फिल्म सुपरहिट हुई है. मनोज की एक्टर के तौर पर आखिरी फिल्म 1995 में आई मैदान-ए-जंग थी.</span></div> </div> </div> <div class="w-100 downloadBtns_section"> </div>
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