<p style="text-align: justify;"><strong>Superboys Of Malegaon:</strong> कुछ फिल्में सिर्फ फिल्में नहीं बल्कि ऐसे इमोशन्स की तरह होती हैं जो देखने वालों के जेहन में बस जाती हैं और उन्हें भुला पाना आसान नहीं होता है. कुछ फिल्में ऐसी होती है जो आपको उसी दुनिया में ले जाती हैं जहां पर उसकी कहानी सेट की गई होती हैं. कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिनका लम्बे समय तक दिलो-दिमाग पर असर छाया रहता है. अगर मैं कहूं कि महाराष्ट्र के एक बेहद छोटे से शहर मालेगांव में संघर्ष करते हुए चंद दोस्तों द्वारा वहीं पर फिल्म बनाने की कहानी पर बनी फिल्म 'सुपरबॉयज़ ऑफ़ मालेगांव' भी ऐसी ही एक सशक्त फिल्म है तो ये अतिशयोक्ति नहीं होगी.</p> <p style="text-align: justify;">डायरेक्टर रीमा कागती फिल्म 'सुपरबॉयज़ ऑफ़ मालेगांव' के ज़रिए मालेगांव की फिल्मी दुनिया को कुछ ऐसे फिल्मी अंदाज़ में सामने लाती हैं कि आप एक पल के लिए भी सिनेमा के पर्दे से अपनी आंखें नहीं हटा पाएंगे. मालेगांव में एक मामूली सा शख़्स नासिर शेख किस तरह से लोकल लेवल पर फिल्में बनाने की शुरुआत करता है, किस तरह से फिल्में बनाने के लिए वो दिन-रात संघर्ष करता है, किस तरह साधनों के अभाव में भी वो मालेगांव में फिल्में बना लेता है और बड़े पर्दे पर उन्हें रिलीज़ करता है, इसे डायरेक्टर ने बड़े ही मज़ेदार, जज़्बाती और दिलचस्प अंदाज़ में पेश किया है.</p> <p style="text-align: justify;">फिल्म 'सुपरबॉयज़ ऑफ़ मालेगांव' में एक‌ नहीं, कई तरह की ख़ूबियां हैं. कहानी और तमाम किरदारों को पेश करने का ऐसा नज़रिया, ऐसी संवेदनशीलता फिल्म में दिखाई गई है जो फिल्मों में कम ही देखने को मिलती है. खास बात है कि फिल्म में कई तरह की परतें हैं और जब कहानी के अंदर छुपीं फिल्म परतें एक‌-एक‌ कर‌ खुलती हैं तो ये फिल्म को एक अलग किस्म की गहराई और एक अलग तरह की ऊंचाई प्रदान करती है.</p> <p style="text-align: justify;">इस फिल्म‌ में मालेगांव में फिल्म इंडस्ट्री खड़ी कर लेने के बहाने कुछ लड़कों की दोस्ती और उनके बीच होने वाले मनमुटाव, फिल्म बनाने के ख़्वाहिशमंदों के व्यक्तिगत संघर्ष, एक प्रतिभाशाली और जिद्दी लेखक द्वारा बार बार झेली जाने वाली ज़िल्लत, प्यार करने और दिल टूटने की दास्तां, 'मालेगांव‌ की माधुरी दीक्षित' के‌ रूप में मशहूर फिल्म की हीरोइन की शादीशुदा ज़िंदगी के देखते ही देखते नर्क हो जाने, कैंसर के एक मरीज़ को फिल्म में सुपरमैन के रूप में कास्ट करने जैसे तमाम ऐसे वाकयों को इतने सशक्त अंदाज़ में दिखाया गया है कि फिल्म देखकर आप जज़्बाती हुए नहीं रह पाएंगे.</p> <p style="text-align: justify;">रीमा कागती के निर्देशन के साथ साथ इस फिल्म का लेखन इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है. वरुण ग्रोवर ने‌ तमाम रिसर्च को आधार बनाकर एक‌ ऐसी कमाल की स्क्रिप्ट लिखी है जो शुरुआत में आपको एक कॉमेडी फिल्म होने का एहसास कराएगी. मगर ये फिल्म दरअसल एक ट्रैजिक-कॉमेडी फिल्म है जो हंसाते-हंसाते आपको बहुत कुछ सोचने और अगर आप एक दर्शक के रूप में ज्यादा संवेदनशील हैं तो आपको रोने‌ पर‌ भी मजबूर कर देगी. 'सुपरबॉयज ऑफ़ मालेगांव' जैसी फिल्में रेअर यानी दुर्लभ किस्म की‌ होती हैं जो कभी-कभार ही बनतीं हैं और बेहद असरदार तरीके से आपके ज़ेहन पर चस्पां हो जाती हैं.</p> <p style="text-align: justify;">वीडियो पार्लर चलाते-चलाते हुए मालेगांव में अनूठे ढंग से फिल्में बनाने के आइडिया को हक़ीकत का रूप देने वाले किरदार को‌ आदर्श गौरव ने उम्दा तरीके से साकार किया है. 'राइटर, बाप होता है राइटर' जैसे संवाद बोलकर दिल जीतने वाले मगर हमेशा इज़्ज़त और पैसों के‌ लिए तरसने वाले लेखक के रूप में विनीत कुमार सिंह की असरदार एक्टिंग भी दिल को छू लेती है. शशांक अरोड़ा, मंजरी पुपाला, साकिब अयूब, अनुज सिंह दुहन और मुस्कान जाफ़री ने भी अपने-अपने किरदारों को पूरी शिद्दत के साथ निभाया है. तमाम कलाकरों की नैचुरल एक्टिंग देखकर‌ कहा जा सकता है कि फिल्म की कास्टिंग इससे बेहतर नहीं हो सकती थी.</p> <p style="text-align: justify;">'सुपरबॉय ऑफ़ मालेगांव' की ज़हीन राइटिंग, परिपक्व निर्देशन, तमाम कलाकारों की उम्दा अदाकारी,‌ असरदार एडिटिंग और कमाल का कैमरावर्क के अलावा इस फिल्म की एक और बड़ी ख़ासियत है और वो है फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर जिसे सचिन-जिगर की संगीतकार की जोड़ी ने इतने उम्दा तरीके से गढ़ा है कि ये फिल्म के असर को क‌ई‌ गुना बढ़ा देता है. ये कहना ग़लत नहीं होगा कि अगर सचिन-जिगर का बैकग्राउंड म्यूज़िक इतना बढ़िया नहीं होता तो यह फिल्म‌ भी इस क़दर दिलचस्प नज़र नहीं आती.</p> <p style="text-align: justify;">अगर आप अच्छा कंटेट देखना पसंद करते हैं, अगर आप सिनेमा के रूप में कुछ अलग महसूस करने की ख़्वाहिश रखते हैं और अगर आप‌ ‌एंटरटेन होने के‌ साथ साथ कुछ सोचने पर‌ भी मजबूर करने वाले सिनेमा पर यकीन‌‌ करते हैं तो आपको 'सुपरबॉयज़ ऑफ़ मालेगांव' जैसी यादगार फिल्म को बड़े पर्दे पर ज़रूर‌ देखना चाहिए और इस फिल्म को किसी भी कीमत पर मिस नहीं करना चाहिए.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें: <a href="https://ift.tt/I3YW6wZ Divorce News: तलाक पर गोविंदा का रिएक्शन, बीवी से चल रही अनबन, सेपरेशन का नोटिस भी मिला</a></strong></p>
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